जापान से पहली बार 10,000 Cr के प्लेन खरीद सकता है भारत, अगले हफ्ते जाएंगे मोदी; चीन का असर कम करने की मुहिम
नई दिल्ली. भारत जापान से 10 हजार करोड़ के 12 एम्फीबियन प्लेन US-2i खरीद सकता है। ये ऐसे प्लेन हैं जो हवा के साथ-साथ पानी पर भी चल सकते हैं। इस डील के लिए अफसरों ने कोशिशें शुरू कर दी हैं। नरेंद्र मोदी 11-12 नवंबर को जापान के दो दिन के दौरे पर जा रहे हैं। इसमें इस डील पर साइन होने की संभावनाएं जताई जा रही हैं। ये भी माना जा रहा है कि भारत और जापान के बीच ये डील चीन के बढ़ते असर को रोकने के लिए है। एयरक्राफ्ट पर 720 करोड़ खर्च कर चुका है जापान...
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एयरक्राफ्ट की ये डील ज्यादा पैसों के चलते 2013 से अटकी हुई है। इसे देखते हुए जापान ने 720 करोड़ कम कर दिए हैं।
- मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे के बीच सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर चर्चा अहम रहेगी।
- अफसरों का ये भी कहना है कि मोदी-आबे मुलाकात में भारत-जापान के बीच US-2i प्लेन की डील पर भी साइन हो सकते हैं।
- अगर ऐसा होता है तो जापान से किसी भी तरह के मिलिट्री इक्विमेंट्स मिलने की ये पहली डील होगी।
- मोदी और जापानी पीएम शिंजो आबे के बीच सिविल न्यूक्लियर को-ऑपरेशन एग्रीमेंट पर चर्चा अहम रहेगी।
- अफसरों का ये भी कहना है कि मोदी-आबे मुलाकात में भारत-जापान के बीच US-2i प्लेन की डील पर भी साइन हो सकते हैं।
- अगर ऐसा होता है तो जापान से किसी भी तरह के मिलिट्री इक्विमेंट्स मिलने की ये पहली डील होगी।
- करीब 5 दशक तक जापान ने मिलिट्री साजो-सामान के एक्सपोर्ट पर बैन लगा रखा था।
- सोमवार को मनोहर पर्रिकर की अगुआई वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) 12 एयरक्राफ्ट लिए जाने के मसौदे को अंतिम रूप देगी।
- एम्फीबियन प्लेन को नेवी और कोस्ट गार्ड को दिया जाएगा।
- सोमवार को मनोहर पर्रिकर की अगुआई वाली डिफेंस एक्विजिशन काउंसिल (डीएसी) 12 एयरक्राफ्ट लिए जाने के मसौदे को अंतिम रूप देगी।
- एम्फीबियन प्लेन को नेवी और कोस्ट गार्ड को दिया जाएगा।
क्या है US-2i?
- US-2i एक एम्फीबियन प्लेन है। ये जमीन और पानी पर टेकऑफ और लैडिंग कर सकता है।
- 4 बड़े टर्बो-इंजन वाला US-2i का इस्तेमाल सर्चिंग और रेस्क्यू ऑपरेशन में किया जाएगा।
- साथ ही, प्लेन से किसी इमरजेंसी के दौरान 30 जवानों को घटनास्थल पर ले जाया जा सकेगा।
- US-2i एक एम्फीबियन प्लेन है। ये जमीन और पानी पर टेकऑफ और लैडिंग कर सकता है।
- 4 बड़े टर्बो-इंजन वाला US-2i का इस्तेमाल सर्चिंग और रेस्क्यू ऑपरेशन में किया जाएगा।
- साथ ही, प्लेन से किसी इमरजेंसी के दौरान 30 जवानों को घटनास्थल पर ले जाया जा सकेगा।
क्यों अहम है ये डील?
- भारत और जापान, दोनों ही देश चीन के बढ़ते असर से चिंतित हैं।
- ऐसे में भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक नई ताकत बनाना चाहता है।
- बता दें कि 2014 से जापान भारत-यूएस के साथ सालाना होने वाली मालाबार नेवल एक्सरसाइज में हिस्सा लेता रहा है।
- भारत और जापान, दोनों ही देश चीन के बढ़ते असर से चिंतित हैं।
- ऐसे में भारत अमेरिका, जापान और ऑस्ट्रेलिया के साथ मिलकर एक नई ताकत बनाना चाहता है।
- बता दें कि 2014 से जापान भारत-यूएस के साथ सालाना होने वाली मालाबार नेवल एक्सरसाइज में हिस्सा लेता रहा है।
200 सिंगल इंजन फाइटर प्लेन भी खरीदने को तैयार है भारत
- भारत 200 सिंगल इंजन फाइटर प्लेन खरीदने को तैयार है, लेकिन फॉरेन मैन्युफैक्चरर्स के सामने इसके लिए मेक इन इंडिया की शर्त रखी गई है। यानी उन्हें इन प्लेन्स को भारत में ही लोकल पार्टनर की मदद से तैयार करना होगा।
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एयरफोर्स ऑफिशियल्स ने बताया कि इस डील के तहत लड़ाकू विमानों की संख्या 300 तक पहुंच सकती है, क्योंकि सोवियत युग के विमानों को पूरी तरह हटाया जाना जरूरी है।
- फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी से 36 राफेल फाइटर प्लेन खरीदने की डील पिछले महीने ही की गई थी।
- इसके बाद अब इंडियन एयरफोर्स अन्य अधिग्रहणों को जल्द अंजाम देकर अपनी ऑपरेशनल स्ट्रेंथ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो चीन और पाकिस्तान के मुकाबले फिलहाल एक-तिहाई कम है।
- अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में F-16 प्लेन की एक प्रोडक्शन यूनिट खोलने में इंटरेस्ट दिखाया है।
- हालांकि, कंपनी इसके अलावा इस प्लेन को भारत को एक्सपोर्ट भी करना चाहती है।
- स्वीडन की साब (Saab) कंपनी ने भी अपने ग्रिपेन एयरक्राफ्ट के लिए भारत में एक प्रोडक्शन यूनिट खोलने का ऑफर दिया है।
- भारत 200 सिंगल इंजन फाइटर प्लेन खरीदने को तैयार है, लेकिन फॉरेन मैन्युफैक्चरर्स के सामने इसके लिए मेक इन इंडिया की शर्त रखी गई है। यानी उन्हें इन प्लेन्स को भारत में ही लोकल पार्टनर की मदद से तैयार करना होगा।
- न्यूज एजेंसी के मुताबिक, एयरफोर्स ऑफिशियल्स ने बताया कि इस डील के तहत लड़ाकू विमानों की संख्या 300 तक पहुंच सकती है, क्योंकि सोवियत युग के विमानों को पूरी तरह हटाया जाना जरूरी है।
- फ्रांस की डसॉल्ट कंपनी से 36 राफेल फाइटर प्लेन खरीदने की डील पिछले महीने ही की गई थी।
- इसके बाद अब इंडियन एयरफोर्स अन्य अधिग्रहणों को जल्द अंजाम देकर अपनी ऑपरेशनल स्ट्रेंथ बढ़ाने की कोशिश कर रही है, जो चीन और पाकिस्तान के मुकाबले फिलहाल एक-तिहाई कम है।
- अमेरिकी कंपनी लॉकहीड मार्टिन ने भारत में F-16 प्लेन की एक प्रोडक्शन यूनिट खोलने में इंटरेस्ट दिखाया है।
- हालांकि, कंपनी इसके अलावा इस प्लेन को भारत को एक्सपोर्ट भी करना चाहती है।
- स्वीडन की साब (Saab) कंपनी ने भी अपने ग्रिपेन एयरक्राफ्ट के लिए भारत में एक प्रोडक्शन यूनिट खोलने का ऑफर दिया है।
क्या है मोदी सरकार की प्लानिंग?
- दरअसल, मोदी सरकार चाहती है कि आगे कोई भी फाइटर प्लेन भारत में ही लोकल पार्टनर की मदद से बनाया जाए।
- इससे डोमेस्टिक एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा और बेहद खर्चीले इम्पोर्ट से निजात मिलेगी।
- मोदी सरकार के मेक इन इंडिया प्लान के तहत काम कर रहे एयरफोर्स के एक अफसर ने कहा- "200 प्लेन तो हमें तुरंत चाहिए, कम से कम इतने की जरूरत तो है ही।"
- "मेक इन इंडिया के तहत ही एक फॉरेन मैन्युफैक्चरर लोकल फर्म को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर एयरक्राफ्ट बनाने में मदद देगा।"
- दरअसल, मोदी सरकार चाहती है कि आगे कोई भी फाइटर प्लेन भारत में ही लोकल पार्टनर की मदद से बनाया जाए।
- इससे डोमेस्टिक एयरक्राफ्ट इंडस्ट्री को बढ़ावा मिलेगा और बेहद खर्चीले इम्पोर्ट से निजात मिलेगी।
- मोदी सरकार के मेक इन इंडिया प्लान के तहत काम कर रहे एयरफोर्स के एक अफसर ने कहा- "200 प्लेन तो हमें तुरंत चाहिए, कम से कम इतने की जरूरत तो है ही।"
- "मेक इन इंडिया के तहत ही एक फॉरेन मैन्युफैक्चरर लोकल फर्म को टेक्नोलॉजी ट्रांसफर कर एयरक्राफ्ट बनाने में मदद देगा।"
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