गोलू 12 साल का था। पढ़ने में बहुत होशियार था और हर चीज में आगे रहता था। उसके अध्यापक व मम्मी-पापा उसे बहुत प्यार करते थे। लेकिन सब गुण होते हुए भी उसमें एक कमी थी कि जब वह गुस्सा हो जाता था तो संभालने से भी नहीं संभलता था। गोलू के मम्मी-पापा, अध्यापक, रिश्तेदार व दोस्त सभी उसके गुस्से से बहुत परेशान थे।

एक बार गोलू के दोस्त काकू से मजाक-मजाक में उसका कीमती पेन टूट गया। इस बात पर गोलू को बहुत गुस्सा आया और उसने काकू के सिर पर भारी चीज उठाकर मार दी। काकू के सिर में कई टांके आए। इस बात से गोलू के दोस्त उससे दूर-दूर रहने लगे और उसके मम्मी-पापा चिंतित।

कुछ दिन बाद गोलू के स्कूल में एक नई अध्यापिका मिस हेतल आईं। हेतल इतना अच्छा पढ़ाती थीं कि कुछ ही दिनों में सारे स्कूल के बच्चे उन्हें पसंद करने लगे थे। हेतल गोलू से मिलकर बहुत प्रभावित हुईं और गोलू उनके प्रिय बच्चों में शामिल हो गया। एक दिन मैडम ने सब बच्चों को दिवाली पर निबंध लिखने को दिया। गोलू ने बहुत समझदारी से निबंध लिखा। उसे पूरी उम्मीद थी कि मैडम को निबंध बहुत पसंद आएगा, क्योंकि गोलू को त्योहारों व ज्ञान की बातों को जानने में बहुत रुचि थी और वह अपने मम्मी-पापा से ऐसी जानकारियां प्राप्त करता रहता था। उसका निबंध पूरा होने ही वाला था कि तभी उसकी बगल में बैठे अनादि से उसकी कॉपी पर स्याही बिखर गयी और निबंध स्याही से ढक गया। यह देखकर गोलू का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया और उसने अनादि के गाल पर चांटे मारने शुरू कर दिए। अनादि बिलख-बिलख कर रोने लगा। मैडम ने जब यह शोर सुना तो वह गोलू व अनादि के पास आईं और सारी बात जानने के बाद उन्होंने गोलू को प्यार से समझाया कि वह दूसरा निबंध लिख ले। इस घटना से मिस हेतल को गोलू के गुस्से के बारे में पता चल गया और उन्होंने उसके गुस्से को खत्म करने की ठान ली। दिवाली पास आ रही थी। मैडम ने सब बच्चों से कहा कि वह अपनी प्रिय टीचर के लिए उपहार बनाकर लाएं। सभी बच्चों की पसंद मिस हेतल ही थीं, इसलिए वे सब उनके लिए उपहार बनाने में जुट गए। गोलू ने मिस हेतल के लिए एक दीपक को चांद सितारों से सजाकर इतना खूबसूरत बना दिया कि सब इतने नन्हे से बालक की चित्रकारी देखकर दंग रह गए। दीपक वाकई इतना खूबसूरत बना था कि बाजार के दीपक भी उसके आगे फीके पड़ जाएं। दिवाली से एक दिन पहले सभी बच्चों ने मैडम को उपहार दिए। उन्होंने सभी बच्चों के उपहारों की बहुत तारीफ की। गोलू का उपहार तो खैर सराहनीय था ही। गोलू का उपहार लेने के बाद उन्होंने चुपके से गोलू से कुछ बात की। सब बच्चे अपने घर आ गए और सभी ने दिवाली धूमधाम से मनायी। दिवाली बीत गयी। अगले दिन सब बच्चे स्कूल आए और पढ़ाई में जुट गए। धीरे-धीरे दिन बीतते गए। मार्च का महीना आ गया और साथ ही आ गयी परीक्षाएं। इतने दिनों में लोगों ने गोलू में एक अजीब सा परिवर्तन देखा। वह परिवर्तन यह था कि अब गोलू का गुस्सा उड़न-छू हो गया था। गोलू के मम्मी-पापा व उसके मित्र उसमें आए इस परिवर्तन से हैरान थे। उसके मम्मी-पापा ने जब गोलू से पूछा तो उसने इसका श्रेय मिस हेतल को दिया।

गोलू के मम्मी-पापा मिस हेतल के पास पहुंचे तो वह बोलीं, ‘गोलू का यह गुस्सा आगे चलकर उसकी सारी अच्छाइयों पर पानी फेर देगा, इसलिए मैंने गोलू से दिवाली पर उसके उपहार के साथ एक और उपहार मांगा कि गोलू को जब भी गुस्सा आए तो वह अपने गुस्से पर काबू कर बदला लेने के लिए अगले दिन तक का इंतजार करे। उसने मुझसे यह वादा किया और मुझे दिवाली का यह सबसे बड़ा उपहार दिया।’ 

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