आजकल उत्कर्ष का पढ़ने में खूब मन लग रहा था। उसकी तरक्की हो गई थी और वह दूसरी क्लास में चला गया था। क्लास की नई मैम हर बच्चे को प्यार से तब तक हर चीज समझाती रहतीं, जब तक उनकी समझ में टॉपिक न आ जाए। अभी पिछले दिनों साइंस की क्लास चल रही थी। मैम ने बताया, ‘‘बच्चो, हर काम एक-दूसरे से जुड़ा होता है। देखो, हमें पानी चाहिए पर पानी अकेले हम तक नहीं पहुंच पाता। पानी भाप बनकर आकाश में बादल का रूप लेता है। धरती पर हम पेड़ लगाएंगे। पेड़ से हरियाली होगी। हरियाली बादल को आकर्षित करती है, तो इससे बारिश होगी। बारिश होगी, तो पानी बहता हुआ फिर समुद्र या कहीं और इकट्ठा होगा। उससे फिर भाप बनेगी और यह चक्र चलता रहेगा।’’ बात उत्कर्ष की समझ में आ गई। वह खुशी-खुशी स्कूल से घर लौटा।

उत्कर्ष की अपने बड़े भाई से रोज किसी न किसी बात पर लड़ाई होती रहती थी। मम्मी-पापा बस उनकी लड़ाई को छुड़ाते रहते थे। आज भी घर पहुंचते ही ब्रेड और जैम को लेकर लड़ाई शुरू हो गई। मम्मी का काफी समय तो दोनों को समझाने में निकल गया। शाम हुई, तो पापा घर आए। दोनों भाइयों को पता था कि मम्मी हमारी लड़ाई की बात पापा को जरूर बताएंगी। अब डांट के डर से दोनों भाई प्यार से बातें कर रहे थे। देखकर पापा की खुशी का ठिकाना नहीं था कि आज तो दोनों भाई बड़े प्यार से खेल रहे हैं, पढ़ रहे हैं।

पापा थोड़े इमोशनल हो गए। बोले, ‘‘तुम लोग प्यार से रहते हो, तो कितना अच्छा लगता है। बेटा, ऐसे ही रहा करो। अपना सब दुख-दर्द मुझे दे दो। मैं हूं न तुम्हारे सब दुखों को दूर करने के लिए।’’
‘‘नहीं पापा और सब मांग लीजिए, पर यह मैं नहीं दे सकता।’’ उत्कर्ष ने घोषणा कर दी।
‘‘क्यों बेटा?’’ पापा ने प्यार से पूछा।
‘‘पापा, आपकी बात मान ली, तो पता है, क्या होगा?’’
‘‘क्या बेटा?’’ पापा ने उत्सुकता से पूछा। मम्मी और भैया भी उत्सुकता से उसकी ओर देख रहे थे।
‘‘देखिए, मैं भैया के साथ हुई अपनी लड़ाई आपको दे दूंगा। तो भैया की बदमाशी की बात सुनकर आप अपना गुस्सा रोक नहीं पाएंगे। आप भैया को जरूर मारेंगे। भैया बदला लेने की सोचेगा और फिर मौका मिलते ही मुझे मारेगा या परेशान करके बदला लेगा। मैं भैया को मार तो सकता नहीं, इसलिए उनका सामान छिपा दूंगा। भैया को सामान नहीं मिलेगा, तो वह जान जाएगा कि यह मेरा काम है। वह मुझसे लड़ाई करेगा। हमारी लड़ाई देख आप फिर दुखी होंगे। ऐसा तो रोज ही चलता रहेगा। अब वॉटर साइकिल की तरह यह दुख साइकिल यानी सैड साइकिल आपको देने से अच्छा है कि हम आपस में ही लड़ लिया करें। क्यों भैया ठीक है?’’ उत्कर्ष ने बड़े भाई कि ओर देखा।
बड़ा भाई ही नहीं, मम्मी और पापा भी उसके इस सैड साइकिल की नई खोज पर मुसकरा रहे थे।

Comments