रुद्र बहुत ही शरारती बच्चा था। पर उसकी खासियत यह थी कि उसे जो समझाया जाता, भले ही उस पर अमल न करे, पर याद जरूर रखता था। और कभी  ऐसा समय आता, जब उसके मम्मी-पापा वही गलती करते, तो वह उसी बात को दुहराकर उन्हें शर्मिदा सा कर देता।

एक बार उसके स्कूल में डेंटल मेला लगा। सारे बच्चे अपना मुंह छिपाए घूम रहे थे। दरअसल कई बच्चे ऐसे थे, जो बिना ब्रश किए ही स्कूल आ जाते थे। ऐसे बच्चे भी थे, जिनके दांतों में कीड़े लग गए थे या फिर टूट गए थे। वे शर्मिदा होकर डॉक्टर अंकल से छिपते फिर रहे थे। डॉक्टर अंकल को उन पर बड़ा तरस आया। उन्हें समझाते हुए वह बोले, ‘घबराओ नहीं, ये तो दूध के दांत थे, जो टूट ही जाते हैं। अब फिर से तुम्हारे दांत निकलेंगे, जो लोहे जैसे मजबूत होंगे। उनसे जो चाहे, खाना।’

रुद्र भी बाकी बच्चों के साथ डॉक्टर की बात ध्यान से सुन रहा था। रुद्र को दूध पीने के नाम से ही चिढ़ थी। रोज उसकी मम्मी और उसमें इस बात पर कुश्ती होती। वह जोर से अपना मुंह दबाकर बैठ जाता ताकि मम्मी क्या, कोई भी उसके मुंह में दूध न डाल सके। कई बार पापा भी इस कुश्ती में शामिल हो जाते। पर उनका स्टाइल अलग था। वह उसे फुसलाना चाहते कि किसी तरह मानकर वह दूध पी ले। पर अक्सर उनकी चाल नाकामयाब हो जाती। एक दिन ऐसे ही दूध-लड़ाई चल रही थी। पापा ने उसे समझाना चाहा, ‘मेरा बेटा दूध पिएगा, तो जल्दी से बड़ा हो जाएगा।’
‘सच, मैं दूध पिऊंगा, तो बड़ा हो जाऊंगा?’ रुद्र उत्सुकता से बोला।
‘हां, और तुम मेरे जैसे लंबे और बलवान भी हो जाओगे।’ पापा तीर को निशाने पर लगते देखकर खुश होकर बोले।
‘फिर तो मुझे दूध कभी नहीं पीना। आप जैसा बड़ा और मोटा हो गया तो मैं अपनी क्लास में कैसे बैठूंगा?’
कहते हुए रुद्र और अच्छी तरह से मुंह को भींचकर बैठ गया।
अब पापा को गुस्सा आ गया। वह डांटने लगे, फिर समझाया भी, ‘बेटा, दूध में कैल्शियम होता है, इससे दांत मजबूत होते हैं। जो बच्चे दूध नहीं पीते, उनके दांत कमजोर होकर टूट जाते हैं। उनमें कीड़े लग जाते हैं। मेरे दांत देखो, एक भी नहीं टूटा और न ही इनमें कीड़े लगे हैं।’
पापा ने गर्व से अपने दांत दिखाए।
‘मुझे पता है पापा, कितना भी दूध पी लो, ये दांत तो टूट ही जाएंगे।’, रुद्र समझाने वाले अंदाज में बोला।
‘क्या मतलब?’ अब पापा के चौंकने की बारी थी।
‘अरे आपको पता नहीं, बच्चों के तो दूध के दांत होते हैं। ये तो टूट ही जाते हैं। फिर जब ये निकलेंगे, तो लोहे के होंगे।’ रुद्र ने डॉक्टर अंकल की बात दोहरा दी।
‘लोहे के?’ पापा हक्के-बक्के थे।
‘हां, जैसे आपके दांत लोहे के हैं। तभी तो उनमें कीड़े नहीं लगते। दूध में तो कीड़े लग जाते हैं। कल मैंने अपना दूध छोड़ दिया था तो देखा नहीं कितने कीड़े आकर उस पर चिपक गए थे। अब आपको अच्छा लगेगा आपका बेटा दूध पीकर सोए और चींटियां उस पर आक्रमण कर दें? अपने बेटे को दूध और चींटियों से बचा लो मां।’
कहते हुए रुद्र अपनी मां की गोद में दुबक गया। बेटे की जवाब सुन पापा निरुत्तर होकर बैठ गए।

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